रोचक तथ्य
रोचक तथ्य >> बूढ़ा होने पर शेर आत्महत्या क्यों कर लेता है ?
दोस्तों क्या आपको पता है ? जंगल का राजा कहलाने वाला शेर आखिर क्यों बूढ़ा होने पर मौत को गले लगा लेता है ? आपको यह बात सुनने में भले ही अजीब लग रही हो लेकिन यह बात बिल्कुल सच है कि जंगल का हर वो शेर जो बूढ़ा हो जाता है वो आत्महत्या कर ही लेता है।
ये बात शायद आप पहली बार सुन रहे हों लेकिन हमेशा से ही बूढ़ा शेर ऐसा ही करता है |
दोस्तों लेकिन आश्चर्य तो इस बात का है कि आखिर शेर बूढ़ा होने पर ऐसा क्यों करते हैं ? जिस शेर की दहाड़ से जंगल का हर जानवर थर - थर काँपता है और अपनी जान की सलामती के लिए इधर-उधर भागने लगता है फिर आखिर क्यों वह खतरनाक शेर बूढ़ा होने पर अपनी मर्जी से मौत को गले लगा लेता है ?
दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से इन सभी सवालों का जवाब देने वाले हैं | कि आखिर क्यों जंगल का राजा कहलाने वाला खतरनाक शेर आत्महत्या कर लेता है और किस वजह से वह ऐसा करने पर मजबूर होता है।
इसलिए ध्यान से इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़िए |
दोस्तों यह बात तो आपने जरुर सुनी ही होगी कि शेर जंगल का राजा होता है। भले ही जंगल मैं कितना भी बड़ा जानवर आ जाए लेकिन जंगल का राजा कहलाने वाला शेर ही होता है क्यूंकि शेर जंगल मैं अपने शिकार के लिए जाना जाता है | लेकिन आपको बता दें की शेर इतना बलशाली होने के बाबजूद भी वह अपने अंतिम समय में आत्महत्या करता है क्यूंकि दोस्तों जब शेर बूढ़ा होता है तो उसको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वह अपनेआप को बेहद ही अकेला महसूस करता है।
बूढ़ा होने पर शेर की स्थिति इतनी बुरी हो जाती है कि वह अपना पेट पालने के लिए शिकार भी नहीं कर पाता और ऐसे मैं उसके पास आत्महत्या करने के सिवा कोई रास्ता बचता नहीं है और वह मौत को ही चुनना आसान समझता है।
दरअसल दोस्तों शेर वो प्राणी है जो समूह में रहना ज्यादा पसंद करता है जी हां दोस्तों आपने सही सुना शेर हमेशा झुंड में ही रहते हैं। शेर कभी भी अकेले इधर-उधर नहीं जाते क्योंकि उन्हें झुंड में रहना पंसद होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि शेर के झुंड में लगभग 10 से 20 सदस्य होते है |
जिनमे 6 शेरनियां होती है और बाकी नर शेर होते है । इस झुण्ड की सबसे खास बात तो ये है कि इस झुंड में शेरनी ही हमेशा शिकार करती है। क्यूंकि जब शेरनी बच्चों को जन्म देती है तो करीब 2 हफ्ते बाद उसके बच्चों की आंखें खुलती है और लगभग 4 हफ्तों के बाद ये बच्चे शेरनी के साथ धीरे - धीरे चलना शुरु करते है ।
चलना शुरु करने के चार महिने बाद ये बच्चे झुड़ की अन्य शेरनियों के साथ बाहर निकलते हैं और शिकार करना भी सीखते हैं. धीरे धीरे ये शेर के बच्चे शिकार करने में झुंड़ की शेरनियों की मदद करने लगते हैं | और जैसे जैसे समय बीतता जाता है तो ये शेर के बच्चे शिकार करने मैं माहिर हो जाते हैं |
और शिकार करने वाले ये बच्चें जब थोड़े बढ़े होते है तो अपने झुंड के बूढ़े हो रहे शेरो को झुड़ से बाहर करना शुरु कर देते है । और अपनी एक अलग ही यूनिटी बनाने लगते हैं | दोस्तों यह बात सुनने में थोड़ी अजीब है लेकिन शेरों के परिवारों की यही परंपरा चली आ रही है कि वह बूढ़े शेर को अपने झुंड का हिस्सा कभी नहीं बनाते भले ही वह बूढ़ा शेर उनके परिवार का हिस्सा क्यों ना हो |
बूढ़े शेर को एक ना एक दिन झुंड छोड़कर जाना ही पड़ता है | जब नए शेर बूढ़े शेर को अपने झुंड़ से बाहर निकालते है । तो हमेशा से ही समुह मे रहने वाला वो बूढ़ा शेर बहुत अकेला हो जाता है। इतना अकेला की वह शिकार भी नहीं कर पाता |
हालांकि अगर कोई जानवर जंगल में खुद से मर जाता है तो यह शेर उसे खा लेता है और अपना भरण-पोषण करता है लेकिन हर बार इन बूढ़े शेरो की किस्मत इतनी अच्छी नहीं रहती कि उन्हें बिना शिकार के ही कुछ खाने को मिल जाए।
और ऐसी स्थिति मैं इन बढ़े शेरों को भूका ही रहना पड़ता है क्योंकि उनके परिवार ने उन्हें नकार दिया होता है इसलिए शेर के अन्दर जीने की इच्छाशक्ति भी खत्म हो जाती है और वह बूढ़ा होकर आत्महत्या कर लेता है |
बूढ़ा होकर जब शेर अकेले बैठता है तो उसके शरीर में कुछ कपकपाहट सी होती है और वही कपकपाहट शेर के आत्महत्या का कारण बनती है और ऐसी ही परंपरा शेरों के परिवार मैं हमेशा चलती रहती है एक के बाद एक शेर बूढ़ा होने के बाद आत्महत्या करता जाता है |
तो दोस्तो अब तो आप जान ही गए होंगे की शेर बूढ़ा होकर आत्महत्या क्यों कर लेता है ।
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